Lord Shiva is one of the Trimurti Gods of Hinduism who is widely worshipped by Hindus all around the world. Millions of devotees visit the various temples of Lord Shiva throughout the year, in the hope of seeking his powerful blessings.
अयोध्या की कहानी जिसे समय निकालकर पढे केवल भाजपा या काग्रेस की दृष्टि से ना पढे
हिन्दुओ का इतिहास के आधार पर जिसे
पीरियड पैड्स से जुड़े यह हैक्स हैं बेहद अमेजिंग
पैड्स को सिर्फ पीरियड्स में ही इस्तेमाल नहीं किया जाता, बल्कि यह आपकी कई छोटी-बड़ी प्रॉब्लम्स को भी मैनेज कर सकता है।
सैनेटरी पैड्स ना केवल फ्लोर की सफाई में आपकी मदद करते हैं, बल्कि यह उसे प्रोटेक्ट करने में भी कारगर है। अक्सर हम सभी अपने घर में लकड़ी की कुर्सियों से लेकर सोफा आदि का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन जब कभी इसे मूव किया जाता है तो फर्श पर निशान आ जाते हैं। ऐसे में अगर आप अपने फ्लोर को प्रोटेक्ट करना चाहती हैं तो पहले सैनेटरी पैड्स को फर्नीचर के बॉटम के साइज के आधार पर छोटा-छोटा काट लें। इसके बाद, आप इसे फर्नीचर के नीचे चिपकाएं। बस, इस छोटे से स्टेप से आपके फर्नीचर से फ्लोर को किसी तरह का डैमेज नहीं होगा।
फर्स्ट एड के रूप में करें इस्तेमाल
आपको शायद पता ना हो, लेकिन सैनेटरी पैड्स को फर्स्ट एड के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। बेहतर होगा कि आप इन्हें अपनी फर्स्ट एड किट में अवश्य रखें। कभी-कभी कटने या चोट लगने पर सैनेटरी पैड्स को छोटे साइज में काटकर चोट वाले स्थान पर लगाया जा सकता है, ताकि खून बहने को रोका जा सके। चूंकि सैनेटरी पैड्स आसानी से चिपक जाते हैं, इसलिए आपको अलग से डॉक्टर टेप की भी जरूरत नहीं होगी।
आइस पैक
सैनेटरी पैड एक बेहतरीन आइस पैक भी साबित हो सकते हैं। जब भी आपको आइस पैक की आवश्यकता हो, तो बस एक सैनिटरी पैड को पानी में भिगोएँ, उसे फ्रीज़ करें। अब इसे एक प्लास्टिक रि-सीलेबल बैग में रखें और फिर इसे आइस पैक के रूप में उपयोग करें। क्यों है ना यह आसान तरीका, घर पर ही आइस पैक तैयार करने का।
ब्लिस्टर से बचाव
अगर आपको हील्स पहनने के बाद ब्लिस्टर या फुट कॉर्न की समस्या का सामना करना पड़ता है तो ऐसे में सैनेटरी पैड्स आपकी मदद करेगा। इसके लिए आप पैड से कुछ स्ट्रिप्स काट लें और उन्हें अपने जूते के अंदर चिपका दें जहां पर आपको असुविधा महसूस होती है। साथ ही सैनेटरी पैड लगाने के बाद आपको हील्स या फुटवियर अधिक कंफर्टेबल लगेंगे और आप उन्हें लंबे समय तक बेहद आसानी से पहन पाएंगी।
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Corona virus Disease Overview ! Here is my few Opinions About life
I can honestly say, there is no higher pleasure in life than to see your plans and goals fall in place.
The ball is in motion, it is up to you, and you alone, to keep it moving.
Keep motivated, keep pushing. There is no greater failure than standing still and letting life pass you by.
No matter how small the milestone you have hit, celebrate it, remember it, and call it a checkpoint because no one can take it away from you.
Always tell the world, Here I Come. It's my Personal Thoth
RAMJI RATHAUR!
शेर-ए पंजाब महाराजा रणजीत सिंह की हिम्मत और बहादुरी की कहानी
शेर-ए पंजाब के नाम से मशहूर महाराणा रणजीत सिंह पंजाब प्रांत के राजा थे| पंजाब के इस शेर ने अपनी हिम्मत और बहादुरी के दम पर कई युद्ध विजय किये और अपना नाम भारत के स्वर्ण अक्षरों में दर्ज़ किया| महाराजा रणजीत एक ऐसी व्यक्ति थे, जिन्होंने न केवल पंजाब को एक सशक्त सूबे के रूप में एकजुट रखा, बल्कि अपने जीते-जी अंग्रेजों को अपने साम्राज्य के आस-पास भटकने भी नहीं दिया| तो चलिए आपको इस बहादुर बेटे के जीवन की कहानी और रोचक किस्से बताते हैं|
प्रारंभिक जीवन परिचय
युद्ध में कैसे जीत पायी
महाराजा रणजीत ने अफगानों के खिलाफ बहुत सी लड़ाइयां लड़ीं और उन्हें पश्चिमी पंजाब की ओर भगा दिया| जिसके बाद पेशावर समेत पश्तून क्षेत्र पर उन्हीं का अधिकार हो गया| यह पहला मौका था जब पश्तूनों पर किसी गैर मुस्लिम ने राज किया| उसके बाद उन्होंने पेशावर, जम्मू कश्मीर और आनंदपुर पर अपना कब्ज़ा जमाना शुरू किया|
अमृतसर की संधि के दौरान
महाराज रणजीत सिंह के सैनिकों ने बचने के लिए अंग्रेजो से संरक्षण देने की प्रार्थना की| तब गर्वनर जनरल लार्ड मिन्टो ने सर चार्ल्स मेटकाफ को रणजीत सिंह से संधि करने हेतु उनके वहाँ भेजा|पहले तो रणजीतसिंह संधि प्रस्ताव पर सहमत नही हुए परंतु जब लार्ड मिन्टो ने मेटकाफ के साथ आक्टरलोनी के नेतृत्व में एक विशाल सैनिक टुकड़ी भेजी और उन्होंने अंग्रेज़ सैनिक शक्ति की धमकी दी तब रणजीतसिंह को नामंजूरी होते हुए भी झुकना पड़ा था|
कांगड़ा पर कैसे हासिल की विजय (ई॰ 1809)
अमरसिंह थापा नें ई॰ 1809
में कांगड़ा पर हमला किया था| मगर उस समय वहाँ संसारचंद्र राजगद्दी पर थे| मुसीबत के समय उस वक्त संसारचंद्र नें रणजीतसिंह से मदद मांगी, तब उन्होने फौरन उनकी मदद के लिए एक विशाल सेना भेजी और सिख सेना को सामने आता देख कर ही अमरसिंह थापा की हिम्मत जवाब दे गयी| जिसके बाद वह सेना उल्टे पाँव वहाँ से भाग निकले| इस प्रकार कांगड़ा राज्य पर भी रणजीत सिंह का अधिकार हो गया|
मुल्तान की जीत (ई॰ 1818)
ई॰ 1818 में मुल्तान के शासक मुजफ्फरखा थे उन्होने सिख सेना का साहस के साथ सामना किया पर अंत में उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा था| महाराजा रणजीत सिंह की और से वह युद्ध मिश्र दीवानचंद और खड्गसिंह नें लड़ा था और मुल्तान पर विजय प्राप्त की| इस तरह महाराजा रणजीत सिंह नें ई॰ 1818 में मुल्तान को अपने कब्ज़ें में किया|
कटक राज्य पर विजय (ई॰ 1813)
साल 1813 में महाराजा रणजीत सिंह ने अपनी सझ बूझ और कूटनीति से काम लेते हुए कटक राज्य पर भी कब्ज़ा जमाया| ऐसा कहा जाता है की उन्होंने कटक राज्य के गर्वनर जहादांद को एक लाख रूपये की राशि भेंट दे कर ई॰ 1813 में कटक पर अधिकार प्राप्त किया|
कश्मीर पर पायी सबसे ख़ास जीत (ई॰ 1819)
महाराजा रणजीत सिंह नें 1819
ई. में मिश्र दीवानचंद के नेतृत्व मे विशाल सेना कश्मीर की तरफ आक्रमण के लिए भेजी| तब कश्मीर में अफगान शासक जब्बार खां का शाशन था| उन्होनें रणजीत सिंह की भेजी हुई सिख सेना का मुकाबला किया और वह हार गए| जिसके बाद कश्मीर पर भी रणजीत सिंह का पूर्ण अधिकार हो गया था|
डेराजात की विजय (ई॰ 1820-21)
कश्मीर पर अपना कब्ज़ा करते ही वह ई॰ 1820-21
में क्रमवार डेरागाजी खा, इस्माइलखा और बन्नू पर विजय हासिल कर के अपना अधिकार सिद्ध किया|
पेशावर की जीत (ई॰ 1823-24)
ई॰ 1823. में महाराजा रणजीत सिंह ने एक विशाल सेना पेशावर भेजी| उस समय सिक्खों ने वहाँ जहांगीर और नौशहरा की लड़ाइयो में पठानों को करारी हार दी| जिसके बाद पेशावर राज्य पर जीत हासिल की|
महाराजा की अगवाई में ई॰ 1834
में पेशावर को पूर्ण सिक्ख साम्राज्य में सम्मलित कर लिया गया था|
लद्दाख की जीत (ई॰ 1836)
ई॰ 1836 में महाराजा रणजीत सिंह के सिक्ख सेनापति जोरावर सिंह ने लद्दाख पर ज़ोरदार हमला किया और लद्दाखी सेना को हरा कर के लद्दाख पर भी अपना राज्य स्थापित किया| जिसके बाद राजा रणजीत सिंह का मान सम्मान और ज्यादा बढ़ गया|
कोहिनूर का हीरा
महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद ई॰ 1845
में अंग्रेजों नें सिखों पर बड़ी सेना के साथ आक्रमण किया| जिसके बाद फिरोज़पुर की लड़ाई में सिख सेना के सेनापति लालसिंह नें अपनी सेना के साथ विश्वासघात किया और अपना मोर्चा छोड़ कर लाहौर चले गए| उस समय अंग्रेज़ो नें सिखों से कोहिनूर हीरा लूट कर कश्मीर और हज़ारा राज्य छीन लिया था| तब कोहिनूर हीरे को लंदन ले जाय गया और वहाँ ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया के ताज में जड्वा दिया गया|
महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु
महाराजा रणजीत सिंह ने 58 साल की उम्र में सन 1839 में वीरगति को प्राप्त किया था| उन्होने अपने अंतिम साँसे लाहौर में ली थी| उन्होंने सबसे पहली सिख सेना की स्थापना की थी|उनकी मृत्यु के पश्चात उनके पुत्र महराजा खड़क सिंह ने उनकी गद्द्दी संभाली|
ये थी महान राजा रणजीत सिंह के जीवन की अद्भुत कहानी| जिन्होंने जीवन में कभी भी हार नहीं मानी और एक के बाद एक राज्यों की स्थापना की थी|
There are many interesting legends linked to Lord Shiva within the pages of Hindu mythology that are quite remarkable and fascinating even to this day. The powerful mantras and the poojas of Lord Shiva invoke his great blessings, which can drastically improve the lives of his devotees.
Why Is Lord Shiva Known As Mahakal 1. Mahakal is an avatar of Lord Shiva who is worshiped primarily at the Mahakaleshwar Jyotirlinga Temple in Ujjain, Madhya Pradesh. It is a form of the Lord which is widely revered by the devotees of Lord Shiva worldwide.
2. The meaning of Kaal' in Hinduism is time and the 'Maha' or greatness of Lord Shiva is thought to be greater than time itself. Lord Shiva is so powerful that the concept of mortal time doesn't affect him in any way. Instead Lord Shiva has the power to end time itself, as he is the divine destroyer of the Universe and all things in It.
3. It is said that during the incident of Daksha yagna Sati had jumped in the yagna fire when her father Daksha refused Lord Shiva her hand in marriage. This enraged Lord Shiva and he began his Tandav, the dance of death which threatened to destroy the entire universe. In this form also, Lord Shiva was known as Mahakal.
4. Another interesting legend behind Lord Shiva being called Mahakal is the story of
a Brahmin and his four sons, who were all devoted bhakts of Lord Shiva. Once when they were busy in their penance for Lord Shiva, a demon named Dushan attacked them. Dushan was very powerful as he had gained a boon from Lord Brahma.
5. Just as Dushan was about to attack the Brahmins, the earth split open and Lord Shiva manifested before him in his huge form of Mahakal. When Dushan refused to back down, Lord Shiva burnt him to ashes.
6. Then on the request of the people of Ujjain and the king Chandrasena (who Shiva had also helped), Lord Shiva agreed to stay back as the swayambhu murthi or lingam
of Mahakaleshwar.
7. Mahakal Shiva who resides in the Mahakaleshwar Temple offers blessings and protection to the people from physical harms and spiritual evils, and to all those who come to visit his sacred shrine throughout the year.
🚩🙏 Har Har Mahadev 🙏 🚩