छत्रपती शिवाजी महराज ने मराठा साम्राज्य की नीव रखी थी
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उनकी महानता और कौशलता के कारण आज उन्हें विदेशों में भी जाना जाता है | उनकी रणनीति और राजनीतिक समझ उन्हें औरों से अलग बनानाती है| तो चलिए आज हम आपको छत्रपती शिवाजी महाराज के जीवन की कहानी बताते हैं कैसे वह एक आम राजा से मराठा सम्राठ बनें|
छत्रपती शिवाजी महाराज का आरंभिक जीवन
भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले महान राजा छत्रपती शिवाजी महाराज ने (1630-1680 ई.) तक भारत के सबसे महान रणनीतिकार माने जाते थे| उनका जन्म जीजाबाई और शाहजी भोसले के यहाँ 19 फरवरी,
1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था| शिवाजी का पूरा नाम शिवाजी भोंसले था| बचपन से शिवाजी महाराज राजनीति और युद्ध शिक्षा में माहिर थे| उनके बड़े भाई का नाम सम्भाजी था जो अधिकतर समय अपने पिता शाहजी भोसलें के साथ रहना पसंद करते थे| बचपन से शिवाजी राजे के हृदय में मुग़ल शासक को हारने की लौ पैदा हो गयी थी इस बात सारा श्रेय उनकी माता को जाता हैं| जो खुद प्रतिभावान और शक्तिशाली महिला थी|
वैवाहिक जीवन
· छत्रपति शिवाजी महाराज का विवाह सन् 14 मई 1640 में सइबाई निंबाळकर के साथ लाल महल, पुणे में हुआ| समय की मांग के अनुसार तथा सभी मराठा सरदारों को एक छत्र के नीचे लाने के लिए महाराज को 8 विवाह करने पडे़ थे|
मराठा सम्राठ से जुडी कुछ अन्य बातें
उन्होंने कई सालों तक औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया और उनसे युद्ध कर उन्हें मात दी
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साल 1674 में रायगढ़ में उनका राज्यभिषेक हुआ और वह "छत्रपति" बने| छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों कि मदद से समर-विद्या में अनेक नवाचार किये तथा छापामार युद्ध (Gorilla
War) की नयी शैली (शिवसूत्र) विकसित की|
अपने कार्यकाल में उन्होंने प्राचीन हिंदू राजनीतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया और फारसी के स्थान पर मराठी और संस्कृत को राज काज की भाषा बनाया|
इन्ही कारणों से भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बहुत से लोगों ने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन से प्रेरणा लेकर भारत की आज़ादी के लिये अपना तन, मन धन न्यौछावर कर दिया|
छत्रपति शिवाजी के वर्चस्प की कहानी
छत्रपति के शासनकाल में बीजापुर का राज्य आपसी संघर्ष तथा विदेशी आक्रमण काल के दौर से बुरे वक़्त से गुज़र रहा था| ऐसे में उन्होंने मावलों को बीजापुर के ख़िलाफ संगठित किया | मावल प्रदेश पश्चिम घाट से जुड़ा है, वे संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करने के कारण कुशल योद्धा माने जाते थे
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इस प्रदेश में मराठा और सभी जाति के लोग रहते हैं| शिवाजी महाराज इन सभी जाति के लोगों को लेकर मावलों नाम देकर सभी को संगठित किया और उनसे सम्पर्क कर उनके प्रदेश से परिचित हो गए थे| मावल युवकों को लाकर उन्होंने दुर्ग निर्माण का कार्य शुरू किया|
मावलों का सहयोग शिवाजी महाराज के लिए बाद में उतना ही महत्वपूर्ण साबित हुआ जितना शेरशाह सूरी के लिए अफ़गानों का साथ| उस समय बीजापुर आपसी संघर्ष तथा मुग़लों के आक्रमण से परेशान था|
बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह ने बहुत से दुर्गों से अपनी सेना हटाकर उन्हें स्थानीय शासकों के हाथ सौंप दिया था| जब आदिलशाह बीमार पड़ा तो बीजापुर में अराजकता फैल गई और शिवाजी महाराज ने अवसर का लाभ उठाकर बीजापुर में प्रवेश का निर्णय लिया| शिवाजी महाराज ने इसके बाद के दिनों में बीजापुर के दुर्गों पर अधिकार करने की नीति बनाई और कामयाब हुए| सबसे पहले उन्होंने रोहिदेश्वर का दुर्ग अपनाने की रणनीति बनाई|
कभी भी मुस्लिम विरोधी नहीं रहे शिवाजी
कई बार अलग-अलग समुदायों द्वारा शिवाजी पर मुस्लिम विरोधी होने का दोषारोपण किया जाता रहा है, पर इतिहासकारों की माने तो यह सत्य इसलिए नहीं कि उनकी सेना में तो अनेक मुस्लिम नायक एवं सेनानी शामिल थे| वास्तव में शिवाजी का सारा संघर्ष उस कट्टरता और उद्दंडता के विरुद्ध था, जिसे औरंगजेब जैसे शासकों और उसकी छत्रछाया में पलने वाले लोगों ने अपना रखा था|
1674 की गर्मियों में शिवाजी ने धूमधाम से सिंहासन पर बैठकर स्वतंत्र प्रभुसत्ता की नींव रखी थी| जिससे दबी-कुचली हिन्दू जनता भयमुक्त हो गयी|
औरंगजेब और छत्रपति शिवाजी की लड़ाई
शिवाजी की बढ़ती हुई ताकत को देख कर मुगल बादशाह औरंगजेब ने दक्षिण में नियुक्त अपने सूबेदार को उन पर चढ़ाई का आदेश दिया| मगर इस लड़ाई में मात कहते हुए उसने अपना पुत्र खो दिया और खुद उसकी अंगुलियां कट गई| जिससे वह मैदान छोड़कर भागने पर मज़बूर हो गए| इस घटना के बाद औरंगजेब ने अपने सबसे प्रभावशाली सेनापति मिर्जा राजा जयसिंह के नेतृत्व में लगभग- लगभग1,00,000
सैनिकों की फौज भेजी थी| शिवाजी को कुचलने के लिए राजा जयसिंह ने बीजापुर के सुल्तान से संधि कर पुरन्दर के क़िले को अधिकार में करने की अपने योजना के प्रथम चरण में 'व्रजगढ़' के किले पर अपना कब्ज़ा जमा लिया| पुरन्दर के क़िले को बचा पाने में अपने को असमर्थ जानकर शिवाजी ने महाराजा जयसिंह से संधि की पेशकश की। दोनों नेता संधि की शर्तों पर सहमत हो गए और 22 जून,
1665 ई. को 'पुरन्दर की सन्धि' संपन्न हुई|
कोंकण पर अधिकार
दक्षिण भारत में औरंगजेब की अनुपस्थिति और बीजापुर की डवाँडोल राजनीतिक के कारण शिवाजी ने समरजी को जंजीरा पर आक्रमण के लिए कहा मगर जंजीरा के सिद्दियों के साथ उनकी लड़ाई कई दिनों तक चली| इसके बाद शिवाजी ने खुद जंजीरा पर आक्रमण किया और दक्षिण कोंकण पर अधिकार कर लिया और दमन के पुर्तगालियों से वार्षिक कर इक्कठा किया| इस समय तक शिवाजी 40 दुर्गों के मालिक बन चुके थे|
औरंगजेब कौन था
औरंगज़ेब शाहजहां और मुमताज़ का बेटा था| औरंगज़ेब के बचपन का अधिकांश समय नूरजहां के पास बीता| आगरा पर कब्जा कर जल्दबाजी में औरंगज़ेब ने अपना राज्याभिषक "अबुल मुजफ्फर मुहीउद्दीन मुजफ्फर औरंगज़ेब बहादुर आलमगीर" की उपाधि से दिल्ली में करवाया| सम्राट औरंगज़ेब ने इस्लाम धर्म के महत्व को स्वीकारते हुए ‘क़ुरान’ को अपने शासन का आधार बनाया |
कुछ रोचक
तथ्य छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में
शिवाजी बहुत बुद्धिमान थे और उन्हे यह कतई मंजूर नहीं था की लोग जात पात के झगड़ों में उलझे रहे| वह किसी भी धर्म के खिलाफ नही थे | उनका नाम भगवान शिव के नाम से नही अपितु एक क्षेत्रीय देवता शिवाई
(Shivai) से लिया गया है।
उन्होंने एक शक्तिशाली नौसेना का निर्माण किया था | इसलिए उन्हें भारतीय नौसेना के पिता के रूप में जाना जाता है| अपने प्रारंभिक चरणों में ही उनको नौसैनिक बल के महत्व का एहसास हो गया था | क्योंकि उन्हें यकीन था कि यह डच, पुर्तगाली और अंग्रेजों सहित विदेशी आक्रमणकारियों से स्वतंत्र रखेगा और समुद्री डाकुओं से कोंकण तट की भी रक्षा करेगा| यहाँ तक कि उन्होंने जयगढ़, विजयदुर्ग, सिन्धुदुर्ग और अन्य कई स्थानों पर नौसेना किलों का निर्माण किया। क्या आपको पता है कि उनके पास चार अलग-अलग प्रकार के युद्धपोत भी थे जैसे मंजुहस्म पाल्स
(Manjuhasm Pals), गुरब्स (Gurabs) और गल्लिबट्स
(Gallibats)|
शिवाजी युद्ध की रणनीति बनाने में माहिर थे और सीमित संसाधनों के होने के बावजूद छापेमारी युद्ध कौशल का परिचय उन्होने तब दिया जब बहुत ही कम उम्र मात्र 15 साल में 'तोरना' किले पर कब्जा करके बीजापुर के सुल्तान को पहला तगड़ा झटका दिया था।
1655 आते आते उन्होने एक के बाद एक कोंडन, जवली और राजगढ़ किलों पर कब्जा कर धीरे धीरे सम्पूर्ण कोकण और पश्चिमी घाट पर कब्जा जमा लिया था |
क्या आप जानते है कि बीजापुर को जीतने के लिए शिवाजी ने औरंगजेब की सहायता के लिए हाथ आगे भड़ाया था | पर ऐसा हो ना सका क्योंकि अहमदनगर के पास मुगल क्षेत्र में दो अधिकारियों ने छापा मार दिया था |
वह शिवाजी थे, जिन्होंने मराठों की एक पेशेवर सेना का गठन किया | इससे पहले मराठों की कोई अपनी सेना नही थी | उन्होंने एक औपचारिक सेना जहा कई सैनिकों को उनकी सेवाओं के लिए साल भर का भुगतान किया गया उसका गठन किया था। मराठा सेना कई इकाइयों में विभाजित थी और प्रत्येक इकाई में 25 सैनिक थे। हिंदू और मुस्लिम दोनों को बिना किसी भेदभाव के सेना में नियुक्त किया जाता था।
वह महिलाओं के सम्मान के कट्टर समर्थक थे | शिवाजी ने महिलाओं के खिलाफ दृढ़ता से उन पर हुई हिंसा या उत्पीड़न का विरोध किया था | उन्होंने सैनिकों को सख्त निर्देश दिये थे कि छापा मारते वक्त किसी भी महिला को नुकसान नही पहुचना चाहिए | यहा तक कि अगर कोई भी सेना में महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करते वक्त पकड़ा गया तो गंभीर रूप से उसे दंडित किया जाएगा |
पन्हाला किले की
घेराबंदी से भागने में शिवाजी कामियाब हुए थे | इसके पीछे एक कहानी है वो ये कि जब शिवाजी महाराज सिद्दी जौहर की सेना द्वारा पन्हाला किला में फँस गये थे, तब इससे बचने के लिए उन्होंने एक योजना तैयार की और फिर उन्होंने दो पालकियों की व्यवस्था की जिसमें एक नाई शिव नहावीं को बिठा दिया जो बिकुल शिवाजी की तरह दिखता था और उसे किले से बाहर का नेतृत्व करने के लिए जाने को कहा,इतने में दुशमन के सैनिक नकली पालकी के पीछे चले गए और इस तरह से वह 600
सैनोकों को चकमा देकर भागने में कामियाब हुए |
वह गुरिल्ला युद्ध के प्रस्तावक थे | उनको पहाडों का चूहा कहा जाता था क्योंकि वह अपने इलाके की भूगोलिक,गुरिल्ला रणनीति या गनिमी कावा जैसे की छापा मरना, छोटे समूहों के साथ दुश्मनो पे हमला करना आदि अच्छी तरह से वाकिफ थे | उन्होंने कभी भी धार्मिक स्थानों या वहा पे रहने वाले लोगो के घरो में कभी छापा नही मारा |
उनकी खासियत थी की वह अपने राज्य के लिए बादमें लड़ते थे पहले भारत के लिए लड़ते थे | उनका लक्ष्य था नि: शुल्क राज्य की स्थापना करना और हमेशा से अपने सैनिकों को प्रेरित करना की वह भारत के लिए लड़े और विशेष रूप से किसी भी राजा के लिए नहीं |
Source:
www.upload.wikimedia.org & https://bit.ly/39VPZ0c
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Great blog...I was very engaged while reading it.
जवाब देंहटाएंThanks for your appreciation..
हटाएंAwesome...
जवाब देंहटाएंThanks shalu ji
हटाएंBahut he achi jankari likhi haivsir ji
जवाब देंहटाएंThanks gentlemen..
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी जानकारी लिखी है अपने राम जी
जवाब देंहटाएंThanku
हटाएंक्या बात है मजा आ गया
जवाब देंहटाएंNice 👍
जवाब देंहटाएंराम जी मन मोह लिया अपने बहुत हे बढ़िया जय भवानी...
जवाब देंहटाएंThanku you so much...
हटाएंबहुत ही बढ़िया जानकारी
जवाब देंहटाएंDhanyavad
हटाएंपूरी और सही जानकारी के लिए धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंThanku
हटाएंGreat information ��
जवाब देंहटाएंThanks
जवाब देंहटाएंThanku
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