कॉरपोरेट शादी

शादी संभोग तक सिमट कर रह गई है, मर्द अपनी गर्मी औरत के शरीर से निकालना चाहता है, औरत अपनी चाहत मर्द के आलिंगन से

यही से जन्म होता है कॉर्पोरेट शादी का, जी हां आप लोगो को लग रहा होगा कि कॉरपोरेट जॉब होती थी, लेकिन समय तेज़ी से आगे बढ़ गया है l, अब समय है कॉर्पोरेट शादी का 

लेकिन आज समय इतना तेज़ी से बदल रहा है, की इसके। सामने मनुष्य जाति का सबसे पवित्र बंधन शादी का बंधन भी छोटा लगने लगा है, और इसकी वजह से जन्म होता है कॉर्पोरेट शादी की 

इस शादी में लड़के और लड़की की प्रोफाइल बनाई जाती है शादी वाले apps पर, 

पहले जहां शादी करते वक्त परिवार और लड़के का चरित्र। वो जिम्मेदार है या नही ये देखा जाता था 

आज लड़के के बारे में देखा जाता है, की वो कमाता कितना है, किस कंपनी में कितना शेयर है, पत्नी को क्लब जाने देगा या नहीं l, पत्नी के अगर लड़के दोस्त हुए तो कोई आपत्ति नही होनी चाहिए 

लड़के की पढ़ाई किसी बड़े iit ya iim जैसे कॉलेज से होनी चाहिए, 

लड़का स्टैंडअलोन होना चाहैये उसके मां बाप साथ में ना। हो 

और लड़की ऐसी देखी जाती है जो दिखने में सुंदर हो या ना हो उसका फिगर एकदम अच्छा होना चाहिए, ना पतली हो ना मोटी हो, 

स्तन शरीर के हिसाब से थोड़े बड़े हो, नितंब चौड़े हो 

इसके बाद बारी आती है, पढ़ाई की इंडिया के किसी अच्छे कॉलेज से पढ़ी हो, 

प्राइवेट जॉब हो लेकिन कंपनी अच्छी हो 

पति की महिला कलीग से कोई आपत्ति ना हो 

दहेज दे या ना दे पर सेक्स करने से किसी तरह का परहेज नहीं होना चाहिए 

ये बातें मनगढ़ंत नहीं है बल्कि मेरे पास शादी के लिए आए 500 से अधिक लोगो के कॉमन प्रश्न हैं ये 

जब लड़के और लड़की की मीटिंग होती है, उसके बाद वो फोन पर बात करते हैं तो पहला सवाल दोनो तरफ से होता है की उन्हें संभोग करना कितना पसंद है, 

मानो जैसे शादी की बात नही बल्कि किसी वैश्य से डील चल रही हो 

आज मेरे क्लाइंट दिल्ली बैंगलोर गुड़गांव में हैं और अंदर ही अंदर ये खेल चल रहा है, 

और लोगो की शादी भी होती है, लेकिन ये शादी हर तरह के मर्यादा के परे होती है, और कुछ साल में जब ऐसे लोगो का संभोग से मन भर जाता है तो इनकी शादी सिर्फ नाम मात्र की रहती हैं

हम ऐसे समाज में हैं जहां किसी भी ऑप्शन की कोई कमी नहीं है 

लेकिन आज भी मैं अपने अनुभव से कह सकता हूं सबसे  ज्यादा सफल शादी वही होती है जो मां बाप द्वारा लड़के और लड़की को ढूंढ के की जाती है 

या फिर वो प्रेम विवाह जो कम से कम 5 साल पुराना हो 

माता पिता द्वारा कराई शादी में परिवार और सभ्यता सब देखी जाती है 

लेकिन कॉर्पोरेट शादी में सिर्फ कमाई और लड़की का फिगर देखा जाता है 

मां बाप द्वारा कराई शादी में परिवार का एक अदृश्य दबाव होता है, जिसमे किसी की गलती होने पर परिवार के सदस्य शादी को बचाने का प्रयास करते हैं 

और पति पत्नी भी संकोच में अपने रिश्तों को सुधारने का प्रयास करते हैं और समय ठीक होने पर रिश्ता भी ठीक हो जाता है 

Lekin corporate शादी में आप आजाद हैं थोड़ी सी भी कमी होने पर आप अपनी पत्नी या पति को छोड़ते नही है बल्कि बाहर मुंह मारने निकल पड़ते हैं 

और यही कारण है की दिल्ली मुंबई बैंगलोर में काम करने वाले ज्यादातर शादी शुदा लोगो के गैर मर्द और महिला के साथ संबद्ध बढ़ रहे हैं 

आज की युवा पीढ़ी वो लड़की हो या लड़का सिर्फ इस बात पे ध्यान दें की शादी करते समय लड़के लड़की का चरित्र कैसा है जिमेदारी उठा सकता है, और उसके अंदर वफादारी कितनी है एक अच्छे शादी वाले जीवन के लिए। ये 3 बिंदु प्रयाप्त है 

लेकिन अगर आप कॉरपोरेट शादी के चक्कर में पड़ रहे तो याद रखिए कुछ साल तो संभोग का खूब आनद आएगा लेकिन उसके बाद मन में अकेलापन महसूस होगा और मन से आप किसी को अपना नही बोल पाएंगे 


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