भारत के इतिहास में कई ऐसे महँ राजा रहे हैं जिन्हें तेज़ी बुद्धि और समझदारी के लिए पूरे विश्व में जाना जाता था | ऐसे ही एक विश्वप्रसिद्ध एवं शक्तिशाली राजा भारतीय मौर्य राजवंश के महान सम्राट चक्रवर्ती सम्राट अशोक थे | अखंड भारत पर राज करते हुए उन्होंने 304 से ईसा पूर्व 232 तक अपना साम्राज्य उत्तर में हिन्दुकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर तक तथा पूर्व में बांग्लादेश से पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तान, ईरान तक पहुंचाया|
आरंभिक जीवन काल |
वहीं उनके 100 पुत्रों में से केवल अशोक, तिष्य और सुशीम का ही उल्लेख इतिहास के पन्नों में मिलता है| सम्राट अशोक का पूरा नाम देवानाम्प्रिय था| चक्रवर्ती सम्राट अशोक विश्व के सभी महान एवं शक्तिशाली सम्राटों एवं राजाओं में सबसे पहले स्थान पर आते थे|
उन्होंने अपने कार्यकाल में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार किया| सम्राठ अशोक बचपन से ही सत्य, अहिंसा एवं शाकाहारी थे | आपको जान कर यकीन नहीं होगा मगर सम्राट अशोक अपने जीवन काल मे एक भी युद्ध में हारे नहीं है|
सम्राट अशोक का बचपन
बचपन से तीरंदाजी में माहिर अशोक उच्च श्रेणी के शिकारी भी थे| इसी कारण वह प्रजा के चहेते शासक भी थे| वहीं सम्राट अशोक की विलक्षण प्रतिभा और अच्छे सैन्य गुणों की वजह से उनके पिता बिन्दुसार भी उनसे बेहद प्रभावित थे, इसलिए उन्होंने सम्राट अशोक को बेहद कम उम्र में ही मौर्य वंश की राजगद्दी सौपी|
बौद्ध के प्रचारक
थे सम्राठ अशोक
अपने कार्यकाल
में सम्राठ अशोक ने पूरे एशिया में बुध धर्म का प्रचार और प्रसार किया| कलिंग युद्ध के करीब दो साल पहले सम्राट अशोक
भगवान बुद्ध की मानवतावादी शिक्षाओं से प्रभावित होकर बौद्ध अनुयायी हो गये थे |
जिसके बाद उन्होने कई स्तम्भ खड़े कर दिये जो
आज भी नेपाल में उनके जन्मस्थल - लुम्बिनी में और मायादेवी मन्दिर के पास, सारनाथ,बौद्ध मन्दिर बोधगया, कुशीनगर एवं आदी
श्रीलंका, थाईलैंड, चीन इन देशों में आज भी अशोक स्तम्भ के रूप में
देखे जा सकते है | शिलालेख शुरू
करने वाला पहला शासक सम्राट अशोक बने थे। जिन्होंने सबसे पहले बौद्ध धर्म का सिद्धान्त लागू किया जो आज भी
कार्यरत है|
सम्राठ अशोक का साम्राज्य
अशोक के बडे़ भाई सुशीम अवन्ती की राजधानी उज्जैन के प्रांतपाल थे, उसी दौरान अवन्ती में हो रहे विद्रोह में भारतीय और यूनानी मूल के लोगों के बीच दंगा हुआ| जिसे रोकने के लिए बिन्दुसार द्वारा अशोक को भेजा गया और वह अपनी कुशल रणनीति से शांति कायम करने में सफल हुए| जिसके बाद बिन्दुसार ने सम्राट अशोक को मौर्य वंश का शासक बना दिया|
मगर 272 ईसा पूर्व में सम्राट अशोक के पिता बिन्दुसार की मृत्यु हो गयी जिसके बाद अशोक और उनके सौतेले भाईयों के बीच घमासान युद्ध हुआ। इसी दौरान सम्राट अशोक की शादी विदिशा की बेहद सुंदर राजकुमारी शाक्या कुमारी से हुई| शादी के बाद दोनों को महेन्द्र और संघमित्रा नाम की संतानें हुई और कुछ इतिहासकारों का मानना हैं कि 268 ईसा पूर्व के दौरान मौर्य वंश के सम्राट अशोक ने अपने मौर्य सम्राज्य का विस्तार के लिए करीब 8 सालों तक युद्ध किया|
मगर धीरे-धीरे सम्राठ अशोक ने सभी उपमहाद्धीपों तक मौर्य सम्राज्य का विस्तार किया, बल्कि भारत और ईरान की सीमा के साथ-साथ अफगानिस्तान के हिन्दूकश में भी मौर्य सम्राज्य का सिक्का चलवाया| उन्होंने दक्षिण के मैसूर, कर्नाटक और कृष्ण गोदावरी की घाटी में भी कब्जा किया, उनके सम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र (मगध, आज का बिहार) और साथ ही उपराजधानी तक्षशिला और उज्जैन भी थी| इस तरह सम्राट अशोक का शासन धीरे-धीरे बढ़ता गया और उनका सम्राज्य उस समय तक का सबसे बड़ा भारतीय सम्राज्य बना, हालांकि, सम्राट अशोक मौर्य सम्राज्य का विस्तार तमिलनाडू, श्रीलंका और केरल में करने में नाकामयाब हुआ|
अशोक और कलिंगा युद्ध
क़रीबन 261 ईसापूर्व में भारतीय इतिहास के सबसे शक्तिशाली और ताकतवर योद्धा सम्राट अशोक ने अपने मौर्य सम्राज्य का विस्तार करने के लिए कलिंग (वर्तमान ओडिशा) राज्य पर हमला किया और इसके खिलाफ एक विध्वंशकारी युद्ध की घोषणा हुई|
ऐसा माना जाता है इसमें करीब 1 लाख लोगों की
बेरहमी से हत्या कर दी गई, मरने वालों में सबसे ज्यादा संख्या सैनिकों की
थी| इसके साथ ही इस युद्ध में करीब डेढ़ लाख लोग बुरी तरह घायल
हुए| इस तरह सम्राट अशोक कलिंग पर अपना कब्जा जमाने वाले मौर्य
वंश के सबसे पहले शासक तो बन गए,
लेकिन इस युध्द में हुए
भारी रक्तपात ने दुःखी कर दिया|
सम्राट अशोक से जुडी कुछ अन्य बातें
· सम्राट अशोक के
नाम का अर्थ “दर्दरहित और चिंतामुक्त” होता है| ऐसा ही उनका व्यक्तित्व भी रहा था| अपने आदेशपत्र में उन्हें प्रियदर्शी एवं देवानाम्प्रिय कह कर भी पुकारा गया
है|
· आउटलाइन ऑफ़
हिस्ट्री की किताब में अशोका में बारे में
बताया गया हैं कि इतिहास में अशोका को हजारो नामो से जानते है, जहां जगह-जगह पर उनकी वीरता के किस्से और गाथा प्रचलित है, वे एक सर्वप्रिय, न्यायप्रिय, दयालु सम्राट थे|
· सम्राट अशोक ने
कई सराहनीय काम किए इसलिए सम्राट अशोक को अहिंसा, शांति, लोक कल्याणकारी नीतियों के लिए एक अतुलनीय और महान अशोक के रुप में जाना जाता
था|
· वह हमेशा से एक
निडर एवं साहसी राजा और योद्धा रहे थे|
· सम्राट अशोक की
कई पत्नियां थी, लेकिन सिर्फ महारानी देवी को ही उनकी रानी माना
गया|
· मौर्य वंश में 40 साल के सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले सम्राट अशोक ही एक मात्र शासक थे|
अशोक स्तंभ का इतिहास
सम्राट अशोक मौर्य वंश (Maurya Dynasty) का तीसरे शासक थे और प्राचीन काल में भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे ताकतवर, शक्तिशाली और प्रभवि राजा थे| अशोक ने कलिंग के युद्ध के बाद बौद्ध धर्म ग्रहण किया और धर्म के सिद्धांतों के प्रचार प्रसार के लिए अपना जीवन समर्पित किया|
जिसके बाद अशोक ने देश के विभिन्न भागों में कई स्तूपों और स्तंभों का निर्माण कराया| इनमें से एक स्तंभ जो सारनाथ में स्थित है, को भारत के राष्ट्रीय प्रतीक (National Emblem) के रुप में अपनाया गया है|
सम्राट अशोक ने भारत के अलावा बाहर के देशों में भी बौद्ध धर्म का प्रचार किया और उसने अपने बेटे महेंद्र और बेटी संघमित्रा को बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए श्रीलंका भेजा था| सारनाथ में स्थित इस स्तम्भ को चुनार के बलुआ पत्थर(Sandstone) के लगभग 45 फुट लंबे प्रस्तरखंड से निर्मित किया गया|
सम्राट अशोक की मृत्यु
40 सालों तक मौर्य वंश का साम्राज्य सँभालने के
बाद करीब 232 ईसापूर्ऩ के आसपास उनकी मृत्यु हो गयी थी| कुछ इतिहासकारों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि सम्राट अशोक की मृत्यु के बाद
मौर्य वंश का सम्राज्य करीब 50 सालों तक चला |